Introduction: क्या आप अपने पैसों को निवेश करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन SWP (सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान) और ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) के बीच कंफ्यूज हैं?
अक्सर निवेशक यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें टैक्स बचाने पर ध्यान देना चाहिए या नियमित आय (Regular Income) पर। GyanFinance.com की इस पोस्ट में, हम आपके मन में उठने वाले हर उस सवाल का जवाब देंगे जो यह तय करने में आपकी मदद करेगा कि आपके लिए कौन सा विकल्प सही है।
1. सबसे पहले: ये दोनों आखिर हैं क्या?
इससे पहले कि हम तुलना करें, आसान भाषा में समझते हैं कि इनका मतलब क्या है:
- ELSS (Equity Linked Savings Scheme): यह एक तरह का म्यूचुअल फंड है जो मुख्य रूप से शेयर बाजार (Equity) में पैसा लगाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें निवेश करने पर आपको Income Tax की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।
- SWP (Systematic Withdrawal Plan): जैसा कि नाम से पता चलता है, यह पैसा “निकालने” का तरीका है। अगर आपके पास म्यूचुअल फंड में एक बड़ी रकम (Lump sum) जमा है, तो आप बैंक को निर्देश दे सकते हैं कि हर महीने एक निश्चित तारीख को एक निश्चित राशि (जैसे ₹5,000 या ₹10,000) आपके बैंक खाते में डाल दी जाए।
2. पाठक के मन में आने वाले सवाल और उनके जवाब (Q&A)
यहां हम उन स्थितियों पर बात करेंगे जो आम आदमी के दिमाग में आती हैं:
सवाल 1: “मेरा मुख्य मकसद टैक्स बचाना है, मुझे क्या चुनना चाहिए?”
जवाब: आपको ELSS चुनना चाहिए। SWP कोई निवेश स्कीम नहीं है, बल्कि पैसा निकालने का तरीका है। अगर आप अपनी सैलरी या इनकम पर टैक्स बचाना चाहते हैं और साथ ही शेयर बाजार से अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं, तो ELSS सबसे बेहतरीन विकल्प है। इसमें 3 साल का लॉक-इन पीरियड (Lock-in period) होता है।
सवाल 2: “मुझे हर महीने घर खर्च के लिए एक फिक्स इनकम चाहिए, क्या करूँ?”
जवाब: इसके लिए SWP (Systematic Withdrawal Plan) सबसे बेहतर है। अगर आपके पास रिटायरमेंट का पैसा या कोई बड़ी रकम पड़ी है, तो उसे किसी अच्छे डेट (Debt) या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में डाल दें और वहां से SWP शुरू कर दें। इससे आपको हर महीने ‘पेंशन’ जैसी आय मिलती रहेगी और आपका बाकी पैसा फंड में बढ़ता भी रहेगा।
सवाल 3: “क्या मैं ELSS में निवेश करके तुरंत SWP शुरू कर सकता हूँ?”
जवाब: नहीं, आप ऐसा तुरंत नहीं कर सकते। याद रखें, ELSS में 3 साल का लॉक-इन होता है। यानी 3 साल तक आप अपना पैसा नहीं निकाल सकते। इसलिए, ELSS फंड से SWP शुरू करने के लिए आपको निवेश के 3 साल पूरे होने का इंतजार करना पड़ेगा।
सवाल 4: “रिटर्न (मुनाफा) किसमें ज्यादा मिलेगा?”
जवाब: यह फंड के प्रकार पर निर्भर करता है।
- ELSS पूरी तरह से इक्विटी (शेयर बाजार) आधारित है, इसलिए इसमें लम्बे समय (5-7 साल) में ज्यादा रिटर्न (12-15% तक) मिलने की संभावना होती है, लेकिन इसमें जोखिम (Risk) भी ज्यादा है।
- SWP आप किसी भी फंड (इक्विटी या डेट) से कर सकते हैं। अगर आप सुरक्षित फंड (Debt Fund) से SWP कर रहे हैं, तो रिटर्न थोड़ा कम (7-9%) हो सकता है, लेकिन यह सुरक्षित होता है।
3. त्वरित तुलना (Comparison Table)
| फीचर | ELSS (टैक्स सेविंग फंड) | SWP (नियमित निकासी) |
| मुख्य उद्देश्य | टैक्स बचाना और वेल्थ बनाना | नियमित मासिक आय (Monthly Income) |
| किसके लिए सही है? | नौकरीपेशा लोग, युवा निवेशक | रिटायर लोग या जिन्हें मंथली खर्च चाहिए |
| लॉक-इन पीरियड | 3 साल (अनिवार्य) | कोई लॉक-इन नहीं (फंड पर निर्भर) |
| टैक्स लाभ | हाँ (80C के तहत छूट) | नहीं (निकासी पर टैक्स लग सकता है) |
4. निष्कर्ष: GyanFinance की राय
अंतिम फैसला आपकी जरूरत पर निर्भर करता है:
- अगर आप अभी कमा रहे हैं (Earning Phase) और टैक्स बचाते हुए पैसा जोड़ना चाहते हैं -> ELSS के साथ जाएं।
- अगर आप रिटायर हो चुके हैं या आपके पास एकमुश्त पैसा है जिससे आप घर चलाना चाहते हैं -> SWP का विकल्प चुनें।
GyanFinance.com टिप: कई समझदार निवेशक पहले ELSS में पैसा लगाकर टैक्स बचाते हैं और वेल्थ क्रिएट करते हैं। जब वह पैसा काफी बढ़ जाता है और लॉक-इन खत्म हो जाता है, तब वे उसी पैसे से SWP शुरू करके अपनी दूसरी इनकम बना लेते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer): म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। निवेश करने से पहले स्कीम से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।

